ग्राम चौपाल: रावण की लंका में, रहना नहीं है ;
>> 17 अक्तूबर, 2010
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चिंतामग्न विभीषण |
रावण की लंका में,
रहना नहीं है ;
रावण की तरह ,
मरना नहीं है ;
अहंकार के सागर में ,
बहना नहीं है ;
है तो सोने की लंका मगर ,
जहाँ भाईचारे का गहना नहीं है ;
रावण की लंका में,
रहना नहीं है ;
राम का देश बड़ा प्यारा है ,
जहाँ किसी से हमें डरना नहीं है ;
विजयादशमी की आप सबको बहुत बहुत बधाई !!
6 टिप्पणियाँ:
आप सब को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीकात्मक त्योहार दशहरा की शुभकामनाएं.
आज आवश्यकता है , आम इंसान को ज्ञान की, जिस से वो; झाड़-फूँक, जादू टोना ,तंत्र-मंत्र, और भूतप्रेत जैसे अन्धविश्वास से भी बाहर आ सके. तभी बुराई पे अच्छाई की विजय संभव है.
विजयादशमी की बहुत बहुत बधाई
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोsस्तु ते॥
विजयादशमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
काव्यशास्त्र
... badhaai va shubhakaamanaayen !
ईश्वर हम सब के भीतर सद्विचार भरें।
बहुत ही प्रेरक सारगर्वित रचना .... आभार
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