विकसित देशों का बाई-प्रोडक्ट है कैंसर
>> 03 जून, 2012

शोधकर्ताओं के अनुसार हालांकि
संक्रमण से होने वाले कैंसर जैसे सर्वाइकल या फिर लीवर कैंसर के मामलों
में कमी आ रही है, लेकिन इनकी कमी कैंसर के उन
मामलों से काफी पीछे रह जाएगी जो कि गलत आदतों की वजह से काफी तेजी से बढ़
रही हैं. इनमें अत्यधिक मात्रा में शराब, सिगरेट के सेवन से होने वाले फेफड़ों, आंत और स्तन कैंसर प्रमुख हैं.
बी.बी.सी.के मुताबिक ये
शोध फ्रांस के लियोन शहर स्थित इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर
अर्थात् आई. ए.आर.सी. और अमेरिकन कैंसर सोसायटी के वैज्ञानिकों ने मिलकर
किया
है. इस शोध कार्य के प्रमुख और आई. ए.आर.सी. के वैज्ञानिक फ्रेडी ब्रे के
मुताबिक कैंसर उन देशों का एक बाई-प्रोडक्ट है जहां शिक्षा, आमदनी और जीवन
शैली बेहतर हुई है. ब्रे और उनके साथी शोधकर्ताओं का अनुमान है कि साल 2030
तक 184 देशों में कैंसर के करीब दो करोड़ 22 लाख नए मामले सामने आएंगे.
ज्यादातर
विकासशील देशों में लोग उस कैंसर से पीड़ित हैं जो संक्रमण की वजह से होता
है. लेकिन भविष्य में इन्हें न सिर्फ इस तरह के कैंसर से निपटना होगा,
बल्कि बदलती जीवन शैली की वजह से होने वाले कैंसर से भी लड़ना पड़ेगा. ब्रे
का अनुमान है कि चीन में लोगों में धूम्रपान की बढ़ती लत से अगले कुछ
दशकों में स्थिति खराब हो सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि कैंसर का
इलाज बहुत महंगा है, इसलिए गरीब
देशों को इससे बचाव के उपायों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.
1 टिप्पणियाँ:
स्थिति चिन्ताजनक है, नयी जीवनशैली अपने हिस्से के रोग भी लायी है।
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